5 Simple Statements About Shodashi Explained

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Shodashi’s mantra encourages self-willpower and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate larger Regulate above their thoughts and steps, resulting in a far more aware and purposeful approach to life. This reward supports individual growth and self-willpower.

This classification highlights her benevolent and nurturing features, contrasting Using the fierce and mild-fierce natured goddesses in the team.

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Charitable acts including donating food stuff and garments to your needy are integral towards the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate element of the divine.

The supremely beautiful Shodashi is united in the heart from the infinite consciousness of Shiva. She gets rid of darkness and bestows light-weight. 

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?

The Mahavidya Shodashi Mantra fosters psychological resilience, aiding devotees approach daily life that has a calm and constant brain. This benefit is valuable for all those encountering stress, as it nurtures inner peace and the ability to keep emotional equilibrium.

इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी website में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

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